Monday 27 January 2020

Fuk se balb ko bujhane ki koshish karte log in hindi kahani

फूंक से बल्ब को बुझाने की कोशिश करते लोग

बात ०७ जनवरी 2020 की है। पहाड़ के एक गांव में एक पिता की चार संताने थी। उन चारों की शादी हो गई और जिंदगी मस्ती से गुजरने लगी लेकिन उनकी जिंदगी में भी एक कमी थी। उन चारों में से किसी के परिवार में कोई संतान नहीं हुई थी।

एक दिन चारों ने आपस में सलाह की और सभी डाक्टर के पास गए। डाक्टर के द्वारा किए गए इलाज से सबसे छोटे भाई के घर एक सुंदर बच्चे ने जन्म लिया। बच्चा बड़ा होकर शहर में नौकरी करने के लिए गया और एक बड़ी कंपनी में अधिकारी बन गया।


कुछ दिन बाद गांव से चारों भाई अपने बच्चे से मिलने के लिए शहर में पहली बार आए। जहा गांव में डिबिया की रोशनी थी वहीं शहर में उन्होंने जगमगाती हुई लाइट देखी। भरी सर्दी के दिन थे चारों भाइयों को एक कमरे में सुला दिया गया। नौकर बोल कर गया जब सोना हो तब इस बटन से लाइट बंद कर देना। चारों भाइयों ने कोई खास ध्यान नहीं दिया वे अपनी बेटी में मस्त रहे। जब सोने का समय हुआ तब एक भाई दूसरे से बोला डिबिया बधा दे और सोते है। छोटा भाई बल्ब में फूंक मारने लगा लेकिन बल्ब नहीं बुझा। बड़ा भाई बोला जोर से फूंक मारो। जब छोटे ने जोर से फूंक मारी ओर बल्ब नहीं बुझा तो चारों भाइयों ने मिलकर कोशिश करने की सोची। चारों भाई जोर जोर से फूंक मारने लगे लेकिन बल्ब नहीं बुझा। तभी एक भाई को याद आया कि नौकर ने बोला था कि था से बटन बंद कर देना उससे डिबिया बुझेगी। सभी भाई अपनी मूर्खता पर पच्छताने लगे ओर तब एक भाई ने जाकर बटन दबाया लेकिन ये क्या कमरे ने तेज हवा चलने लगी। चारों चिल्लाने लगे आंधी गई आंधी गई ओर सभी नौकर को कोसते हुए एक कोने में बैठ गए, नौकर को भला बुरा कहने लगे। कमरे में आंधी भी चल रही थी ओर इतनी तेज हवा में भी रोशनी बंद नहीं हो रही थी। कड़कती ठंड में सभी भाइयों ने ऐसे ही रात बिताई। सुबह आकर नौकर ने पंखा और लाइट बंद की। चारों भाइयों को कुछ दिन शहर में ही रख कर, शहर के तौर तरीके सिखाए गए। अब जब भी चारों को उस रात की याद आती तो खूब हस्ते।

दोस्तों यह कहानी हमे ज्ञान अर्जित करने और अधिक से अधिक पढाई करने की शिक्षा देती है. नहीं तो हम भी उन बूढ़ो की तरह हो जायेंगे. 

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