ज्ञान की कमी मुसीबत की जड़
एक बार की बात है एक गाँव में राम नाम का एक आदमी रहता था। वह बहुत ही बुद्धिमान था वह जानता था कि ज्ञान की कमी मुसीबत की जड़ होती है। राम लकड़ी का बहुत ही अच्छा कारीगर था। वह लकड़ी से बहुत ही सूंदर-सूंदर वस्तुए बनाया करता था।
एक बार उसके गाँव में शहर से श्याम नाम का एक व्यक्ति रहने के लिए आया। उसने गाँव में ही एक घर ख़रीदा और रहने लगा वह डाकघर में नौकरी करता था गांव के डाकघर में उसका अभी तबादला हुआ। कुछ दिन बाद राम से उसकी अच्छी दोस्ती हो गई। एक दिन राम से बाटे करते हुए उसने राम को अपने एक मित्र के बारे में बताया जो लोगो को विदेश में नौकरी दिलाने का कार्य करता था। उसकी बात सुनकर राम ने सोचा कि अगर वह विदेश में नौकरी करने लगे तो वह बहुत पैसा कमा सकता है क्योकि वह तो बहुत ही अच्छा कारीगर था। उसने सुन रक्खा था कि विदेश में जाकर लोग बहुत पैसा कमाते है। फिर भी उसे एक बात परेशान किये जा रही थी कि कुछ लोग नौकरी दिलाने के बहाने से लोगो को लूट रहे है कही उसके साथ भी ऐसा ही न हो जाए। अगले दिन वह श्याम से मिला ओर विदेश जाकर नौकरी करने की अपनी इच्छा बताई साथ ही अपनी आशंका भी बताई कि कैसे लोग नौकरी के बहाने से लोगो के साथ फ्रॉड करते है। श्याम ने राम से कहा कि वह उसे नौकरी देने वाले से मिला देगा और उसके मन में जो भी आशंकाए है वे सब वह उसी से पूछे। ज्ञान की कमी मुसीबत की जड़ है।
रविवार की छुट्टी के दिन श्याम ने राम से कहा :
श्याम : आज मेरी छुट्टी है अगर तुम नौकरी एजेंट से बाते करना चाहते हो तो मै आपको उससे मिलवा दूँगा।
राम : हा हा मै मिलने चलूँगा।
एक घंटे बाद दोनों दोस्त शहर की ओर चल दिए।
शहर में दोनों नौकरी एजेंट के ऑफिस में गए। उसका नाम हरी था.
हरी : आओ राम कैसे हमारे ऑफिस का एड्रेस याद आ गया।
राम : हरी कैसे हो काम कैसा चल रहा है।
हरी : सब ठीक है।
राम : (श्याम की ओर इशारा करते हुए ) यह श्याम है मेरा दोस्त। यह विदेश में नौकरी करना चाहता है।
हरी : श्याम भाई आप क्या काम करना चाहते हो विदेश में।
श्याम : मै एक कारपेंटर हूँ वही काम मैं विदेश में जाकर करूँगा। लेकिन मेरी एक शंका है विदेश जाने वाले बहुत से लोगो के साथ फ्रॉड होता है।
हरी : (शयाम को बीच में रोकते हुए) ऐसा तुम्हारे साथ बिलकुल नहीं होगा। लेकिन मेरे पास किसी भी बड़े देश में कोई नौकरी नहीं है अभी , हाँ छोटे देशो में कुछ नोकरिया है अगर तुम चाहो तो वहां नौकरी कर सकते हो। २,००,००० रुपए का खर्चा होगा।
श्याम : मुझे मंजूर है।
हरी : पहले नौकरी की जानकारी ले लो। नौकरी अफ्रीका के एक छोटे देश में है और वहाँ के ५०,००० रूपये तुम्हे सैलरी में मिलेंगे।
श्याम तैयार हो जाता है। राम और श्याम वापस घर आ गए।
कुछ दिन बाद श्याम को नाम्बिया नाम के एक बहुत गरीब देश में भेज दिया ;गया ।
वहाँ उसे जो भी सैलरी में मिलता वह खर्च हो जाता। उसे समझ नहीं आ रहा था वह क्या करे। नाम्बिया के पैसे की कीमत भारत के पैसे से बहुत कम थी उसे अपनी नासमझी पर बहुत पछतावा हो जहा था। उसे किसी ने भी धोखा नहीं दिया था फिर भी वह लुट गया था।
वह सोचने लगा कि उसे किसने लूटा। बहुत सोचने के बाद उसने निष्कर्ष निकला कि उसे उसकी नासमझी ने लुटा और विदेश जाने की जल्दबाजी में उसने न ही उस देश के बारे में ज्यादा जानकारी ली जिस में वह जा रहा है उसकी जानकारी के आभाव ने उसे बड़ी मुसीबत में डाल दिया था। उसे खुद ने ही लूट लिया था।
हमें इस कहानी से सीख लेनी चाहिए कि हमें किसी भी काम को करने से पहले उस काम की पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। वर्ना कोई हमें नहीं लूटेगा हम खुद ही लूट जायेंगे। ज्ञान की कमी मुसीबत की जड़ ।
एक बार की बात है एक गाँव में राम नाम का एक आदमी रहता था। वह बहुत ही बुद्धिमान था वह जानता था कि ज्ञान की कमी मुसीबत की जड़ होती है। राम लकड़ी का बहुत ही अच्छा कारीगर था। वह लकड़ी से बहुत ही सूंदर-सूंदर वस्तुए बनाया करता था।
एक बार उसके गाँव में शहर से श्याम नाम का एक व्यक्ति रहने के लिए आया। उसने गाँव में ही एक घर ख़रीदा और रहने लगा वह डाकघर में नौकरी करता था गांव के डाकघर में उसका अभी तबादला हुआ। कुछ दिन बाद राम से उसकी अच्छी दोस्ती हो गई। एक दिन राम से बाटे करते हुए उसने राम को अपने एक मित्र के बारे में बताया जो लोगो को विदेश में नौकरी दिलाने का कार्य करता था। उसकी बात सुनकर राम ने सोचा कि अगर वह विदेश में नौकरी करने लगे तो वह बहुत पैसा कमा सकता है क्योकि वह तो बहुत ही अच्छा कारीगर था। उसने सुन रक्खा था कि विदेश में जाकर लोग बहुत पैसा कमाते है। फिर भी उसे एक बात परेशान किये जा रही थी कि कुछ लोग नौकरी दिलाने के बहाने से लोगो को लूट रहे है कही उसके साथ भी ऐसा ही न हो जाए। अगले दिन वह श्याम से मिला ओर विदेश जाकर नौकरी करने की अपनी इच्छा बताई साथ ही अपनी आशंका भी बताई कि कैसे लोग नौकरी के बहाने से लोगो के साथ फ्रॉड करते है। श्याम ने राम से कहा कि वह उसे नौकरी देने वाले से मिला देगा और उसके मन में जो भी आशंकाए है वे सब वह उसी से पूछे। ज्ञान की कमी मुसीबत की जड़ है।
रविवार की छुट्टी के दिन श्याम ने राम से कहा :
श्याम : आज मेरी छुट्टी है अगर तुम नौकरी एजेंट से बाते करना चाहते हो तो मै आपको उससे मिलवा दूँगा।
राम : हा हा मै मिलने चलूँगा।
एक घंटे बाद दोनों दोस्त शहर की ओर चल दिए।
शहर में दोनों नौकरी एजेंट के ऑफिस में गए। उसका नाम हरी था.
हरी : आओ राम कैसे हमारे ऑफिस का एड्रेस याद आ गया।
राम : हरी कैसे हो काम कैसा चल रहा है।
हरी : सब ठीक है।
राम : (श्याम की ओर इशारा करते हुए ) यह श्याम है मेरा दोस्त। यह विदेश में नौकरी करना चाहता है।
हरी : श्याम भाई आप क्या काम करना चाहते हो विदेश में।
श्याम : मै एक कारपेंटर हूँ वही काम मैं विदेश में जाकर करूँगा। लेकिन मेरी एक शंका है विदेश जाने वाले बहुत से लोगो के साथ फ्रॉड होता है।
हरी : (शयाम को बीच में रोकते हुए) ऐसा तुम्हारे साथ बिलकुल नहीं होगा। लेकिन मेरे पास किसी भी बड़े देश में कोई नौकरी नहीं है अभी , हाँ छोटे देशो में कुछ नोकरिया है अगर तुम चाहो तो वहां नौकरी कर सकते हो। २,००,००० रुपए का खर्चा होगा।
श्याम : मुझे मंजूर है।
हरी : पहले नौकरी की जानकारी ले लो। नौकरी अफ्रीका के एक छोटे देश में है और वहाँ के ५०,००० रूपये तुम्हे सैलरी में मिलेंगे।
श्याम तैयार हो जाता है। राम और श्याम वापस घर आ गए।
कुछ दिन बाद श्याम को नाम्बिया नाम के एक बहुत गरीब देश में भेज दिया ;गया ।
वहाँ उसे जो भी सैलरी में मिलता वह खर्च हो जाता। उसे समझ नहीं आ रहा था वह क्या करे। नाम्बिया के पैसे की कीमत भारत के पैसे से बहुत कम थी उसे अपनी नासमझी पर बहुत पछतावा हो जहा था। उसे किसी ने भी धोखा नहीं दिया था फिर भी वह लुट गया था।
वह सोचने लगा कि उसे किसने लूटा। बहुत सोचने के बाद उसने निष्कर्ष निकला कि उसे उसकी नासमझी ने लुटा और विदेश जाने की जल्दबाजी में उसने न ही उस देश के बारे में ज्यादा जानकारी ली जिस में वह जा रहा है उसकी जानकारी के आभाव ने उसे बड़ी मुसीबत में डाल दिया था। उसे खुद ने ही लूट लिया था।
हमें इस कहानी से सीख लेनी चाहिए कि हमें किसी भी काम को करने से पहले उस काम की पूरी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए। वर्ना कोई हमें नहीं लूटेगा हम खुद ही लूट जायेंगे। ज्ञान की कमी मुसीबत की जड़ ।
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