Monday 20 January 2020

ladkiyo ki dress kaun nirdharit karta hai

लड़कियो की ड्रेस कौन निर्धारित करता है.

संजना ने शहर के एक अच्छे एरिया में दो दिन पहले ही अपना फ्लैट खरीदा था। संजना ने फ्लैट खरीदने के बाद बड़े धूमधाम से अपना गृह प्रवेश किया। संजना बहुत खुश थी। उसी की बिल्डिंग में एक जिला पंचायत सदस्य, रामधन कुलकर्णी का भी फ्लैट था। वैसे तो उसका फ्लैट खाली पड़ा रहता था लेकिन कभी कभी रामधन का बेटा अपने दोस्तो के साथ वहां शराब पीने और अय्याशी करने के लिए आता था। अपने फ्लैट में वे खूब उधम मचाते लेकिन बिल्डिंग में उसे किसी को भी कुछ कहते हुए या परेशान करते हुए नहीं देखा था। ना वो किसी की मदद करता था ना किसी को परेशान।



संजना एक मल्टनेशनल कंपनी में पर्सनल एक्जीक्यूटिव के पद पर कार्य करती थी। वह बहुत ही होनहार और महंती लड़की थी। 

सर्दी के दिन थे रविवार की छुट्टी थी। संजना ने नीली जींस और काला टॉप पहना हुआ था उसके उपर ब्राउन जैकेट डाली हुई थी जिसमें वो बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। वह बिल्डिंग के कंपाउंड में धूप में टहल रही थी।कुछ और लोग भी टहल रहे थे लडके शॉर्ट निकर और बनियान में दौड़ लगा रहे थे। तभी संजना ने देखा दीवार के पास एक पौधा गिर गया है वह बैठकर उसे ठीक करने लगी उसके बैठने के कारण उसका टॉप कमर पर उपर को खिसक गया जिससे उसकी कमर का नीचे का हिस्सा दिखने लगा। उसके पीछे से जाते हुए मिस्टर और मिसेज मेहता ने जब उसकी कमर को देखा तो मिसेज मेहता बोली कितनी बेशर्म है सारी कमर दिखरी और आगे निकल गए। उसने सोचा कि देश में लड़कियो की ड्रेस कौन निर्धारित करता है.

संजना ने मिसेज मेहता को पीछे से देखा, उसने पिंक साड़ी पहनी हुई थी जिसमें वो बहुत खूबसूरत लग रही थी लेकिन साड़ी और ब्लाऊज़ के बीच बहुत सारी कमर दिख रही थी और बलाउज का गला भी बहुत गहरा था। संजना धीरे से मुस्कुराई और अपने काम में लग गई।

सोमवार में जब संजना ड्यूटी से वापस आती है तो देखती है कि बिल्डिंग में उसको और तीसरे माले पर रह रहे खुराना जी की बहू को लेकर बहुत सारी बाते बन रही है सब उन्हें गलत साबित करने में लगे हुए है। संजना ने सोचा ये खुराना जी की बहू का क्या चक्कर है। कामवाली से पता करने पर पता चलता है कि खुराना जी की बहू घर के अंदर रहकर मॉडर्न कपड़े पहनती थी। और उसे वे कपड़े पहने हुए रश्मि भाभी ने देख लिया था। संजना ने इस समस्या के समाधान के लिए एक तरकीब निकाली। उसके स्टाफ में ही काम करने वाली ललिता की मां करुणा महिला समाख्या (एक तरह की महिला कोर्ट) में काम करती थी। वह करुणा जी से कई बार पहले भी मिल चुकी थी। संजना उनसे मिली। करुणा जी ने संजना को बताया कि वे बिल्डिंग में एक मीटिंग करेंगी और सभी को समझाएगी। 

अगले रविवार बिल्डिंग के कम्पाउन्ड में बिल्डिंग के सभी लोग इकट्ठा हुए। सुबह के ग्यारह बजे मीटिंग का टाइम रखा गया था। मीटिंग समय पर शुरू हुई। महिला समाख्या की बिमला बहन को बोलने के लिए उठाया गया।

बिमला बहन ने सभी का अभिवादन कर बोलना शुरू किया :
"नदी, रजवाहे, नहर में लड़के निकर में नहाते दिखेंगे, लड़की नही। सुबह दौड़ते समय  लड़के निकर बनिवान में दिखेंगे लड़की नही। गर्मी से परेशान होकर लड़के अपनी पैंट शर्ट और बनियान उतरते हैं लड़की नही। लड़की का थोड़ा सा पैर या कमर क्या दिख गया वो नंगी लगने लगी, गन्दगी लोगो के दिमाग मे हैं गन्दी महिला लगती, अच्छे को अच्छा बुरे को बुरा दिखता है किसी को लड़की की कमर उसका शौक दिखता है किसी को सैक्स। बलात्कार बुरका पहनने वाली का भी होता है। खूबसूरत आपकी बहन भी हो सकती है जरूरी नही पड़ोसन ही होगी। नमस्कार।"
और वे बैठ गई।

फिर करुणा जी ने बताया:
"आँचल माँ का होता है कपड़ो का नही। जीन्स वाली लड़की साड़ी वाली से ज्यादा मैच्योर होती है और अपने बच्चों की ज्यादा अच्छे से देखभाल करती है। बदलाओ प्रकृति का नियम है जो नही बदलता नष्ट हो जाता है उदाहरण : परम्पराओ का पालन करने वाला गरीब आदमी ओर ज्यादा गरीब होता जा रहा है और समय के साथ बदलने वाला ओर ज्यादा अमीर। परम्परागत बैलगाड़ी में बैठ कर दुनिया की सैर नही की जा सकती। देश में लड़कियो की ड्रेस कौन निर्धारित करता है."

बात सोसायटी के लोगो की समझ में अा गई। सोसायटी में फिर ऐसी बात फिर कभी नहीं उठी।

No comments:

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box