Monday 11 May 2020

प्यार का मतलब

प्यार का मतलब

निशा और संजय कॉलेज में साथ साथ पढ़ते थे। दोनों एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे। दोनों ने ही साथ साथ जीने मरने की कसम खा रखी थी। 

दोनों ने अपने घर वालो की सहमति लेकर शादी करने का फैसला किया। निशा ने अपनी माँ से बात करने का फैसला किया जिससे वो पापा से बात कर ले। निशा ने अपनी माँ से कहा कि वो कॉलेज में एक लड़के से प्यार करती है और उससे शादी करना चाहती है। ये सुनते ही माँ का पारा चढ़ गया और बोली, "पढ़ने के बजाय तुझे शादी की ज्यादा जल्दी होरी, पढ़ना तो बस्का है नी, तुझे पढ़ने के लिए भेजा था कॉलेज, जब शादी का समय आएगा, तो तेरी शादी भी कर देंगे, घर में क्वारी बैठा के ना रखने के।"



निशा के कुछ समझ न आया कि माँ ने क्या कहा। उस पर तो संजय के प्यार का भूत सवार था।

उधर संजय के पिताजी ने भी मना कर दिया था और उसे समझाया कि तुम जिस दिन से भी अपनी कमाई का कोई जरिया बना लो, मै उस दिन खुद ही निशा के पापा से बात कर लूंगा। लेकिन उससे पहले कुछ नहीं।

संजय ने माँ से बात की तो माँ ने कहा कि तू पहले ये बता तू मुझसे प्यार करता है या नहीं। संजय ने कहा मैं आपको सबसे ज्यादा प्यार करता हूँ। माँ ने कहा कि यही प्यार है वो नी जो तू निशा से करता है तेरी जिससे भी शादी होगी तू तो उसी से बहुत प्यार करेगा।

कॉलेज के लड़के लड़की के सम्बन्ध को प्यार नहीं कहते। जो एक कवि अपनी कविता से करता है, एक मूर्तिकार अपनी मूर्तियों से करता है, एक भाई अपनी बहन से करता है उसे प्यार कहते है, वर्ना कॉलेज की लड़की को शादी के बाद जब दूसरे घर की व्यवस्था संभालनी पड़ती है तो पता चल जाता है कि प्यार क्या होता है और लड़का तो क्रीम पाउडर के खर्चे में ही प्यार ढूंढता रह जाता है।

संजय समझ गया, उसने निशा को भी समझाया कि उन्हें अभी शादी नहीं करनी है एक साल बाद कॉलेज पूरा होने के बाद पापा का बिज़नेस संभाल लू और तुम भी upsc का एग्जाम क्लियर कर लो। हमें अपने प्यार के साथ साथ और प्यार का भी ध्यान रखना है मम्मी, पापा और बहन के प्यार का भी ध्यान रखना है, फिर शादी करेंगे। 

3 comments:

  1. बहुत शानदार लिखा है आपने बहुत समझदारी वाली बात है जो हर किसी को समझ आणि चाहिए

    ReplyDelete

Please do not enter any spam link in the comment box