Saturday 16 May 2020

बेटी या बहु

बेटी या बहु

जिया रवि के साथ नयी नयी शादी करके ससुराल आयी थी। उसके ससुराल वाले परंपरावादी लोग थे। लेकिन रवि के परिवार वाले रवि के साथ कही घूमने जाने, सिनेमा हॉल में फिल्म देखने या घर में तरह तरह के कपड़े पहनने को कभी भी न तो मना करते थे न कोई बात करते थे। अपने ससुराल वालों के प्यार और व्यवहार से जिया बहुत खुश थी।



लेकिन इन सबके बाद भी कुछ बाते उसे उसे बहुत अखरती थी वे थी कुछ परंपराएं। वो इस घर के बेटी नहीं बहु थी उसे इस बात का ध्यान रखना पड़ता था। उसकी ननंद, सोनिया अकेले अपने जरुरी सामान खरीदने के लिए बाजार जा सकती थी लेकिन वो अकेले कही नहीं जा सकती थी। सोनिया अपने पापा से बात करते हुए उनके पास बैठ जाती थी लेकिन जब जिया अपने ससुर के पास उनकी खाट पर बैठने लगती तो सासु माँ चिल्ला उठती कि जिया क्या कर रही है तू बहु है इस घर की और ये पल्ला सर के ऊपर रख। बेटी और बहू का फर्क उसे खाने, रहने, घूमने जैसी हर बात में समझाया जाता। लेकिन एक बहु के रूप में वो बहुत खुश थी उसे एक बहुत अच्छा घर, परिवार और पति मिला था।

ससुराल के ही अनुरूप जिया ने भी एक अच्छी बहु बनने का फैसला लिया और आदत से मिलनसार होने के कारण वो बन भी गयी। उसकी ननन्द शादी करके अपने ससुराल चली गयी।

समय तेजी से बीतने लगा। जिया के सास ससुर अब ज्यादा बूढ़े हो गए थे। जिया के ससुर बीमार रहने लगे थे। जिया की सास अक्सर कहती थी सिरहाने बैठ कर अपने ससुर को दवाई पिला दे या कपडे बदलवा दे। जिया के सवाल करने पर उसे सासु माँ कहती कि तू बेटी ही तो है। ये सुनकर जिया का मन भावुक हो जाता क्योकि अब तो उसने कड़ी तपस्या से अपने आप को बहु के रूप में ढाल लिया था अब वो एकदम से बेटी कैसे बन जाये। उसे वे दिन याद आने लगते, जब वह बेटी बनना चाहती थी लेकिन परंपराओं के नाम पर उसे बेटी बनने से रोक दिया गया। अब जब बेटी बनने की उसकी सारी इच्छाएं मर चुकी तो परिवार द्वारा अपनी जरुरत के हिसाब से उसे बेटी बनाया जा रहा है। 

वो तो बेटी ही बनने की इच्छा लेकर आई थी, बहु तो उसे बनाया गया, अब बेटी कैसे...

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