Tuesday 28 April 2020

दुश्मन कौन

एक बार एक घमंडी कोबरा सांप जंगल में घूम रहा था। घूमते हुए उसके रास्ते में एक आरी आ गयी जो शायद किसी लकड़ी काटने वाले की रह गयी थी। सांप को यह देखकर बहुत गुस्सा आया कि एक आरी ने उसका रास्ता रोक लिया है। उसने आरी को सबक सिखाने के लिए उसे जकड़ लिया और उसे काटने लगा। जैसे ही सांप ने आरी को तोड़ने के लिए और तेज जकड़ा, सांप टुकड़े टुकड़े होकर बिखर गया। 

आप कई बार अपने से बड़ो को गलत बता कर उन्हें नुकसान पहुचाने की कोशिश करते है या फिर आप कही काम करते है और किसी बात पर अपने बॉस से लड़ने लगते है और कही ना कही उसका नुकसान करने की कोशिश करते है। तो सब गलत है क्योंकि कई बार तो बॉस या आपके बड़ो को पता भी नहीं चलता और अगर पता चलता है तो वह आपका बिलकुल भी नुकसान करना नहीं चाहता, उसका आपको नुकसान पहुचाने का कोई उद्देश्य नहीं होता और आप अपने ही कामो से खतम हो जाते है या आपका बहुत नुकसान हो जाता है, ज्यादातर केस में आपकी नौकरी चली जाती है और मालिक पर कोई असर नहीं पड़ता।

अगर आपके पास साईकिल है तो आपको मोटरसाइकिल का सम्मान करना चाहिए और उसे पैहले रास्ता देना चाहिए। मोटरसाइकिल वाले को कार का सम्मान करना चाहिए, कार को बस या ट्रक का। अगर ऐसा हो तो रोड पर बिलकुल भी एक्सीडेंट नहीं होंगे। 

बात सम्मान की है। अपने से बड़ो का सम्मान हमें सुरक्षित और सम्माननीय बनाये रखता है।

Saturday 25 April 2020

सजा

सजा

एक बार की बात है अमेरिका में एक पति पत्नी रहते थे पीटर और जूलियस। दोनों ही नौकरी करते थे। दोनों में बिलकुल भी नहीं बनती थी। पीटर की कही बाहर कोई महिला मित्र थी वह ज्यादातर समय उसी के साथ बिताता था। यही उन दोनों के बीच अनबन का कारण था।

अपने पति की इस आदत से परेशान होकर जूलियस ने पीटर को तलाक देने का फैसला किया। लेकिन पीटर तैयार नहीं हुआ। जूलियस ने पीटर के ऊपर कोर्ट में केस कर दिया। अमेरिकी कानून के अनुसार दोनों पति पत्नी में जिसकी आय कम या नहीं होती है वह दूसरे से हर्जाने की मांग कर सकता है क्योंकि जूलियस की आय ज्यादा थी इसलिए पीटर ने तलाक देने के लिए जूलियस से 12000 डॉलर का हर्जाना माँगा। रकम बहुत बड़ी थी इसलिये जूलियस ने पहले तो मना किया लेकिन कोर्ट का फैसला आने के बाद वो मान गयी क्योकि उसका पीटर से पीछा छूट रहा था।

जूलियस इतनी आसानी से पीटर को पैसे नहीं देना चाहती थी क्योंकि पीटर ने जूलियस को बहुत परेशान किया था और अब हर्जाना भी वही दे रही थी।

जूलियस ने अपने बैंक मैनेजर से बात की। उसने कहा कि वह पीटर को कुछ नहीं देना चाहती। बैंक मैनेजर ने उसको बताया कि कोर्ट का आदेश तो मानना होगा। लेकिन एक युक्ति है जिससे पीटर को अपने किये पर पछतावा हो। जूलियस को बैंक मैनेजर की बात पसंद आयी। उसने पीटर को बैंक में अपने पैसे लेने के लिए बुलाया। पीटर को 12000 डॉलर का पेमेंट दे दिया लेकिन सभी 12000 डॉलर 10 सेंट के सिक्कों में थे। इसलिए पीटर भी उनका कोई सही इस्तेमाल नहीं कर सका और अपने किये पर बहुत पछताया।

Thursday 23 April 2020

तेजाब के ऊपर तेजाब

तेजाब के ऊपर तेजाब

"उसका नाम सुनैना है कल ही उसने उस गली के सामने वाला फ्लैट किराये पर लिया है" नीरज ने तपन को बताया। 
तपन, "यार इसकी आँखे तो बड़ी ही कातिल है ये तेरी भाभी बनेगी।

तपन, नीरज, रोहन और राजा मवाली किस्म के लड़के थे और आते जाते लड़कियों को परेशान किया करते थे। वे किसी ना किसी से झगड़ा करते ही रहते थे। 

सुनैना जब भी अपने फ्लैट से निकलती थी हमेशा मुँह पर दुपट्टा लपेट कर निकलती थी। उसे देख कर तपन कहता कि ये आजकल की लड़कियों को क्या हो गया है सब मरजीना बन कर फिरती है अब ये मरजीना बनेगी तो 40 चोर तो पीछे पड़ेंगे ही। लेकिन वे सुनैना पर रोज छीटाकशी करते और सुनैना अपनी स्कूटी पर अपने ऑफिस चली जाती। वह कुछ नहीं बोलती थी। 

अब तो तपन सुनैना का रास्ता भी रोकने लगा था वह उसे रास्ते में रोक कर जबरदस्ती उपहार देता और गंदे गंदे कमेंट करता। सुनैना को उसका चेहरा दिखने के लिए कहता। लेकिन सुनैना तपन को बिलकुल भी भाव नहीं देती थी। 

जब तपन को लगने लगा की यहाँ उसकी दाल नहीं गलने वाली। तो उसने अपने दोस्तों के साथ मिलकर सुनैना के चेहरे पर तेजाब डालने का एक घिनोना प्लान बनाया। जब सुनैना अपने फ्लैट से निकली तो उन चारो ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया और एक सुनसान जगह पर उन्होंने सुनैना को रोक लिया। तपन ने जैसे ही उसके चेहरे पर तेजाब डालने के लिए उसके चेहरे से उसका दुपट्टा हटाया उसकी चीख निकल गयी और तेजाब की शीशी हाथ से छूट कर नीचे गिर गयी।

सुनैना का पूरा चेहरा पहले से ही तेजाब से जला हुआ था सिर्फ उसकी आंखें ही बची हुई थी। चारो लड़के चीखते हुए भाग गए। सुनैना ने अपना दुपट्टा अपने चेहरे पर लपेटा और अपने ऑफिस की ओर चल दी।

Tuesday 21 April 2020

रंजना

रंजना

रंजना बहुत प्यार करती थी अपने बॉयफ्रेंड संजय से। कॉलेज में रंजना और संजय को जब भी समय मिलता वे बैठ कर ढेर सारी बाते करते। संजय ने कभी भी उसका फायदा उठाने की कोशिश नहीं की। रंजना कॉलेज में किसी दूसरे लड़के की ओर देखती तक नहीं थी। पूरा कॉलेज कहता था उनका प्यार अटूट और सच्चा है।

रंजना कॉलेज की एधलेटिक टीम में 100 और 400 मीटर की धावक थी और संजय NCC में थे। संजय का सपना सैनिक अफसर बनना था और वह उसके लिए तैयारी भी कर रहा था। दोनों के परिवारों को उनके प्यार की जानकारी थी और दोनों ही परिवार इस रिश्ते से खुश थे। ये एक प्रगतिशील जोड़ा था इन्हें तो अपनी लाइफ में कामयाब होना ही था।

आज रंजना को संजय से बात करने का ओर भी बेसब्री से इंतेजार था वह आज संजय को अपने अतीत के वे काले दिन बता देना चाहती थी। उसे संजय से दो बाते करनी थी। अपने पुराने दिनों के बारे में और रघु के बारे में। उसे संजय से बात करने की जल्दी इसलिए भी थी कि उनके परिवार वाले जल्दी से जल्दी उनकी शादी कर देना चाहते थे और वो झूठ पर अपने जीवन की नींव नहीं रखना चाहती थी। 

कॉलेज पहुंचकर जब रंजना ने संजय के बारे में पता किया तो उसके दोस्तों ने बताया कि उसका आज इंटरव्यू है वह  वहाँ गया है। रंजना ने अगले दिन बात करने का फैसला लिया। उसी रात संजय के बड़े भाई विजय के साथ किसी की लड़ाई हो गयी थी और विजय को सिर में अंदरूनी काफी चोट लगी थी उसकी हालत सीरियस थी। संजय उधर से उधर ही अपने घर चला गया था। चार दिन बीत गए संजय कॉलेज नहीं आया। रंजना ने जब उसके दोस्तों से पता किया तो सुनते ही उसके पैरों तले से जमीन खिसक गयी। संजय जेल में है उसने अपने भाई के हमलावर को मार दिया था।

रंजना की सहेली प्रियंका ने रंजना से पूछा, ऐसी क्या बात है जो तुम संजय को बताने के लिए बेताब हो। रंजना ने कहा, मुझे रघु के बारे में बताना था वह मुझे गंदे गंदे मैसेज करता है।  प्रियंका "वो कॉलेज का गुंडा"। रंजना "हाँ"
प्रियंका, "लेकिन वो तो तुम्हारी तरफ कभी आँख उठा कर देखता भी नहीं"।
रंजना, "हाँ, वो पूरे कॉलेज को परेशान करता है, लेकिन मुझसे कभी आँखे नहीं मिलाता और रात में गंदे गंदे मैसेज करता है। पता नहीं ऐसा क्यों।"
प्रियंका, "और दूसरी बात"।
रंजना, "वो पहले आज रघु को ही बताती हूँ। तुम्हे भी बाद में बताउंगी"। (रंजना के चेहरे पर एक कठोरता थी)

रंजना ने रघु के मैसेज का कभी जवाब नहीं दिया था और वो उसके चार मोबाइल नंबर ब्लॉक कर चुकी थी, लेकिन आज उसने रघु से न सिर्फ बात करने का बल्कि मिलने का फैसला किया। आज वह संजय के जेल जाने के कारण और रघु के द्वारा किये जाने वाले मैसेज को याद करके और भी ज्यादा दुःख और गुस्से में थी।

रात में उसने रघु से फोन पर बात की जिसमे रघु ने बताया वह केवल उन्हीं लोगो के साथ झगड़ा करता है जो गलत होते है और किसी को वो कुछ नहीं कहता है। वह रंजना को भी परेशान नहीं करना चाहता और वो रंजना से बहुत प्यार करता है। उसने बताया कि उसे प्यार जाताना नहीं आता वह मैसेज भेज कर अपना प्यार जाताना चाहता है लेकिन इसका असर उल्टा ही हो रहा है। रंजना ने रघु से दिन में कही एकांत में मिल कर बात करने के लिए कहा। रघु ने एक होटल में एक कमरा बुक कर लिया था।

जब रंजना होटल पहुंची, उसने देखा रघु पहले ही पहुँच चुका था। आज रंजना ने जीन्स और टॉप पाना हुआ था, वह बहुत ही सुन्दर लग रही थी। दोनों रूम में अकेले बैठे हुए थे। रघु ने अपने बारे में बताना शुरू किया, वह किसी बेगुनाह पर होता हुआ अत्याचार सहन नहीं कर सकता। 

रंजना ने पूछा, "तुम मुझे कितना प्यार करते हो"
रघु, "मै तुम्हे बहुत प्यार करता हूँ।"
रंजना अपने कपडे उतारते हुए, "बहुत कितना"।
रंजना को कपडे उतारते देख रघु का दिल तेज तेज धड़कने लगा, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
जैसे ही रंजना ने अपना टॉप उतारा, रघु की चीख निकल गयी। रंजना की छाती और पेट बायीं ओर से जले हुए थे, जैसे उस पर कोई एसिड अटैक हुआ हो और एसिड डालने वाले का निशाना चुके गया हो। उसकी पसलियां चमक रही थी। सारा मांस जल चुका था। ये सब देख कर रघु बहुत डर गया। 

तभी रंजना बोली, रघु "I LOVE YOU", क्या तुम मुझसे शादी करोगे।

रघु ने कमरे का दरवाजा खोला और भाग गया।

रात में रघु का उसी के अंदाज में एक गन्दा सा मैसेज आया। और साथ में उसने पूछा कि क्या संजय को तुम्हारे शरीर के बारे में सबकुछ पता है।
रंजना ने मैसेज में "नहीं" लिख कर भेज दिया
रघु, "अगर ये सब पता चलने के बाद संजय तुमसे शादी करने से मना कर देता है तो मै तुमसे शादी करने को तैयार हूं। तुम्हारी हाँ का इंतेजार रहेगा "।

फिर किसी भी तरफ से कोई मैसेज नहीं आया।
रंजना ने कुछ देर इंतेजार करने के बाद मोबाइल रख दिया। 

अगले दिन सुबह रंजना के चेहरे पर एक अलग सी चमक थी। आज उसके मन में ना तो कोई दुःख था न ही गुस्सा।

Saturday 18 April 2020

गरीब

कोरोना का कहर चारो और फैला हुआ था। पुलिस की खाद्य सामग्री वितरण वाला वाहन दिल्ली के शाहीनबाग इलाके में जाकर रुका। वाहन से कांस्टेबल विकास नीचे उतरा। उसने देखा कि जगह तो वही है जहाँ से खाना पहुँचाने के लिए फोन आया था। लेकिन यहां तो कोई गरीब का मकान दिखाई नहीं दे रहा है। जिस फोन नंबर से फोन आया था उसने उस नंबर पर फोन करके पता किया तो दूसरी ओर से जवाब आया, मै वही आता हूँ। 35-40 साल का एक आदमी एक मकान से बाहर आया। विकास के पूछने पर उसने अपना नाम रितेश बताया। विकास ने पूछा कि आपने ही खाना मंगाया है। रितेश ने हाँ में सिर हिलाया।

विकास बोला, ये खाना गरीबो के लिए है, आप जैसे संपन्न लोगो के लिए नहीं है। आपको शर्म नहीं आती गरीबो के हक का खाना अपने यहां मंगाते हुए। रितेश की आँखों में आंसू आ गए। उसने कहा, हाँ सच में हम संपन्न है लेकिन सरकार ने कहा था किसी को भूखा नहीं मरने देंगे। रितेश की आँखों में आंसू देखकर विकास का मन भी दुखी हुआ। उसने रितेश से पूछा, भाई साहब क्या हुआ।

रितेश ने बताया, उसने कुछ अपने पास से और कुछ रिस्तेदारो से उधार लेकर स्क्रीन प्रिंटिंग का काम शुरू किया था वह टीशर्ट्स पर प्रिंट करते थे काम को शुरू हुए अभी दो महीने ही हुए थे कि दिल्ली के शाहीन बाग में धरना प्रदर्शन होने लगा। कुछ दिन बाद वहाँ दंगे शुरू हो गए। काम में नुकसान चल रहा था कि अचानक ही ये कोरोना का संकट आ पड़ा। जो काम करके बाजार में भेजा हुआ था उसका भी पैसा नहीं आया। घर पर पांच मजदूर जो मशीन पर काम करते थे उन्हें बैठा कर खिलाना पड रहा था। एक दिन दिल्ली में सूचना मिली कि जिसे अपने घर वापस जाना है वो जा सकता है, ये सुनते ही मजदूर अपने घर जाने लगे। मेरे पास जो पैसे थे मैंने उन पांचो मजदूरों में बाँट दिए। मुझे बाद में पता चला कि सरकार द्वारा लोगो को घर भेजने की किसी ने अफवाह फैलाई थी सरकार ने किसी को भी वापस भेजने का कोई वायदा नहीं किया था। मैं मजदूरों के वापस आने के डर से डर गया। मजदूर वापस नहीं आये, मेरे पास भी घर में जो राशन रखा था वही था, पैसे मैंने सब मजदूरों को दे दिए थे। अब तो घर में रखा हुआ राशन भी ख़त्म हो गया था, सुबह जब बच्चे भूख से रोने लगे तो मैंने आपको फोन किया।

विकास की आँखे भी नम हो गयी थी उसने रितेश को खाने के पैकेट दिए और आगे बढ़ गया।

सरकार ने इस बंद में किसी को भूखा न रखने का वायदा किया है। गरीब तो उस मध्यम वर्ग के लोग भी हो सकते है जिन्होंने साफसुथरे कपडे सलीके से पहने है, गरीब की पहचान केवल गंदे कपड़ो और घर की अव्यवस्था से करना गलत है। उस मध्यम वर्ग पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए जो ना तो मांग सकता है ना ही किसी को कुछ बता सकता है।

Tuesday 14 April 2020

बच्चे की इच्छा

एक आठ साल का बच्चा प्रतिदिन अपने घर से निकलता और दो घंटे बाद वापस आता। ऐसा कई दिनों से चल रहा था। बच्चे की मम्मी ने बच्चे के पिता को यह बात बताई। पिता ने मम्मी को अस्वासन दिया कि कल वह खुद बच्चे पर ध्यान रखेंगे। 

अगले दिन ऑफिस से आधे दिन की छुट्टी लेकर पिता घर जल्दी आ गए। जैसे ही बच्चा घर से निकला, पिता ने उसका पीछा करना शुरू कर दिया। बच्चा काफी दूर तक चलने के बाद एक खंडर के पास पहुंचा। जहाँ दो घायल हुए कुत्ते थे शायद उन्हें दूसरे कुत्तो ने घायल कर दिया था। बच्चे ने उन्हें खाना खिलाया, पानी से उनके घाव साफ किये और वापस अपने घर की ओर चल दिया। घर पहुचकर पिता ने सारी बात मम्मी को बताई। 

उस दिन के बाद बच्चे को झूठ बोल कर बाहर जाने की जरुरत नहीं पड़ी। मम्मी उसे खुद खाना दे देती।

अच्छे काम करने की कोई उम्र नहीं होती। अगर इच्छा है तो हम कभी भी कुछ भी कर सकते है। ना बुढ़ापा अड़चन बनता है ना ही बचपन।

Monday 13 April 2020

काला दूल्हा

काला दूल्हा

मै बहुत खुश थी, मेरी बहन आस्था की शादी थी वह मुझसे दो साल बड़ी थी, हमारे परिवार के सभी सदस्य गोरे रंग के है। जहाँ दीदी की शादी तय हुई है लड़का सरकारी नौकरी करता है उसका नाम राहुल है लड़के को सिर्फ पापा ने देखा था बाकि किसी ने नहीं देखा था। एक आवाज सुनकर मैं अपने विचारों से बाहर आयी, किसी ने आकर कहा, बारात आ गयी। मै दौड़कर बालकनी में गयी, मुझे दूल्हे को देखने की बहुत इच्छा हो रही थी लेकिन दूल्हे ने सेहरा पहन रखा था।

Thursday 9 April 2020

रूपये का सर्कुलेसन

रूपये का सर्कुलेसन

रूपये का सर्कुलेसन बड़ी से बड़ी मंदी से भी हमें बाहर निकाल सकता है इसका एक उदाहरण देकर मै आपके लिए ये कहानी लिख रहा हूँ।

एक बार एक शहर में बहुत बड़ी मंदी फैली हुई थी। एक लॉज का मालिक अपने लॉज के काउंटर पर मुँह रखकर अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ था। लॉज के लगभग सभी कमरे खाली पड़े थे। तभी एक कस्टमर लॉज में घुसा। उसने काउंटर पर आकर रूम लेने की बात कही। मालिक खुश हो गया। कस्टमर ने दो हजार रूपये और अपना आधार कार्ड काउंटर पर जमा कराया और एक वेटर के साथ रूम देखने के लिए चला गया।

Wednesday 8 April 2020

प्यासा शेर

प्यासा शेर

शेर को बहुत प्यास लगी थी वह पानी की तलाश में इधर उधर भाग रहा था उसके दो बच्चे भी उसके पीछे पीछे भागे फिर रहे थे उन्हें पैदा हुए अभी एक ही महीना हुआ था। जिस नदी में शेर पानी पीता था उसका पानी पूरी तरह से सूख चुका था। शेर नदी के अंदर से चलता हुआ काफी आगे निकल गया। नदी में छोटे छोटे लेकिन गहरे गड्ढे थे जो हाथी के पैर कीचड़ में धसने से बने थे उनमें पानी था।

Tuesday 7 April 2020

भगवन की कृपा

एक बार की बात है। भारत की एक टुकड़ी के जवान लद्दाख में एक पोस्ट को रिलीज करने के लिए जा रहे थे। सर्दी के दिन थे। रात के लगभग बारह बजे थे। बर्फ पड रही थी। कमांडर सोच रहा था कि अगर उसे एक कप चाय मिल जाती तो बहुत अच्छा होता। लेकिन इतनी रात में बर्फीले इलाके में चाय के बारे में सोचना भी गलत था। 

Thursday 2 April 2020

पिंजरे के बन्दर

एक बार की बात है एक पिंजरे में बारह बंदरो को बंद कर दिया गया । सभी बंदर बहुत समझदार और स्वस्थ थे। पिंजरे के बीच में एक सीढ़ी खड़ी करके उस पर केलो का एक गुच्छा लटका दिया। गुच्छा इस प्रकार लटकाया गया था कि सीढ़ी पर चढ़कर केले आसानी से लिए जा सकते थे।

Wednesday 1 April 2020

सूखा कुँआ

सूखे कुँए का पता चलते ही राहुल गांव की ओर चल पड़ा। साथ में उसका असिस्टेंट धीरज भी था। दोनों अपनी गाड़ी से गांव की ओर चल दिए। 

रास्ते में राहुल सोच रहा था कि कैसे एक छोटे से शहर का लड़का, जो कॉकरोच से भी डरता था। एक फॉरेस्ट ऑफिसर बन गया। वह बनना तो वो बैंक अधिकारी चाहता था उसने बैंक और फॉरेस्ट दोनों के ही फॉर्म भरे थे। लेकिन बैंक के पहले टेस्ट में ही फेल हो जाने के कारण उसने फॉरेस्ट की नौकरी पर अपना पूरा ध्यान लगा दिया। उसे काम की बहुत शख्त जरूरत थी। इसलिए उसने फॉरेस्ट की नौकरी को अपनी मेहनत के दम पर पा लिया। 

कहानी प्रगति की

प्रगति एक औसत दर्जे की लड़की थी पढाई में भी कुछ खास नहीं थी। गेंहुए रंग के साथ उसका नाक नक्श बहुत अच्छा लगता था। 10वीं पास करने के बाद माँ ...