परवरिश
रहमनगर के ठाकुर दुर्जन सिंह एक कर्मठ और बहुत ही दयालु इंसान थे। वे अपने गांव के लोगो पर तनिक भी परेशानी नहीं आने देते थे, किसी को कोई परेशानी हुई नहीं कि ठाकुर साहब उसकी परेशानी दूर करने पहुँच जाते थे। तीन बेटियों के अलावा ठाकुर साहब का एक बेटा भी था, ठाकुर प्रताप। ठाकुर साहब ऐसी कोई समस्या पैदा नहीं होने देते थे जो उनके बेटे को परेशान करे। ठाकुर प्रताप पिता द्वारा दी गयी छूट का कोई गलत फायदा नहीं उठाता था, वो भी एक अच्छा बेटा था बहुत ही सीधा सच्चा इंसान। जब प्रताप के स्कुल के एग्जाम होते थे तो ठाकुर साहब, प्रताप को पास कराने के लिए मास्टर जी के पास पहुँच जाते थे। किसी भी खेल को सही से न खेल पाने के बावजूद वह स्कूल की हॉकी टीम का सदस्य था, ठाकुर साहब की कृपा से।