Tuesday 7 April 2020

भगवन की कृपा

एक बार की बात है। भारत की एक टुकड़ी के जवान लद्दाख में एक पोस्ट को रिलीज करने के लिए जा रहे थे। सर्दी के दिन थे। रात के लगभग बारह बजे थे। बर्फ पड रही थी। कमांडर सोच रहा था कि अगर उसे एक कप चाय मिल जाती तो बहुत अच्छा होता। लेकिन इतनी रात में बर्फीले इलाके में चाय के बारे में सोचना भी गलत था। 



फौजी आगे बढ़ते रहे। करीब एक बजे एक दिवार की आड़ में कमांडर ने अपने जवानों को आराम करने का आदेश दिया। जब जवान आराम कर रहे थे। एक जवान पेशाब करने के लिए दिवार के पीछे गया और वापस आकर उसने बताया कि हम एक चाय की दुकान के पीछे बैठे है। कमांडर उठ कर दुकान के सामने गया। उसने देखा एक टूटी सी दुकान है लेकिन उस पर भी ताला लगा हुआ है। कमांडर ने ताला तोड़कर यह देखने का आदेश दिया कि दुकान में चाय बनाने का पूरा सामान है या नहीं। दुकान का ताला तोड़ दिया गया। दुकान में चाय बनाने का पूरा सामान था कुछ बिस्किट के पैकेट भी रखे थे। चाय बनायीं गयी। सभी जवान चाय पीकर जैसे रिचार्ज हो गए हो। जब सभी जवान चलने लगे तो कमांडर ने सोचा कि हम कोई चोर उचक्के तो है नहीं। उसने अपने पर्स से दो हजार का एक नोट निकाल कर काउंटर पर एक डब्बे के नीचे इस प्रकार दबा दिया कि नोट अंदर आते ही दिख जाए और दरवाजा बंद करके कुंडे में ताला फसा दिया। फ़ौज आगे बढ़ गयी और पोस्ट पर जाकर दूसरी टुकड़ी को रिलीज कर दिया।

तीन महीने बाद दूसरी टुकड़ी उन्हें रिलीज करने के लिए आई और पोस्ट नयी टुकड़ी को हैंडओवर करके जवान वापस चल दिए। इस बार जवानों को पता था कि रास्ते में एक चाय की दुकान है वहाँ चाय पीकर चलना है। कमांडर ने सभी को बोल दिया था कोई उस रात के बारे में वहाँ कोई बात नहीं करेगा।

दिन का समय था टुकड़ी चाय की दुकान पर पहुंची। चाय की दुकान खुली हुयी थी। इतने ग्राहकों को एक साथ देखकर चायवाला खुश हो गया। कमांडर ने देखा चाय वाला एक बूढा आदमी है। चायवाले को चाय बनाने के लिए कहा गया। बूढा बाते करने लगा। अपनी बातों में बूढा बार बार भगवान का जिक्र कर रहा था जैसे भगवान का सुक्र है। भगवान चाहे तो कुछ भी कर सकते है। कमांडर ने कहा लगता है बाबा आप भगवान को कुछ ज्यादा ही मानते हो। बूढा बोला मै भगवान की कृपया को सिद्ध कर सकता हूँ। कमांडर ने कहा कैसे सिद्ध करोगे। बूढ़े ने बताया करीब तीन महीने पुरानी बात है। मेरा बेटा बहुत बीमार हो गया था और दुकान पर ज्यादा ठण्ड होने के कारण कोई ग्राहक नहीं आ रहा था। मेरे पास बिलकुल भी पैसे नहीं थे। मै जब सुबह दुकान पर आया तो मेरी दुकान का ताला टूटा हुआ था। मेरे तो होश ही उड़ गए थे मुसीबत के समय और मुसीबत आ गयी थी। मैंने दरवाजा खोला और देखा एक दो हजार का नोट मेरे काउंटर पर रखा हुआ है मेरी जान में जान आ गयी चाय के कुछ बर्तन पड़े हुए थे मै समझ गया भगवान अपने दूतो के साथ मेरी दुकान पर आये और चाय बनाकर पीकर चले गए। कमांडर सोचने लगे उस रात तो भगवान ने हमें भी चाय पिलाकर ठण्ड में हमारी मदद की थी। जवानों की नजरें कमांडर की ओर थी जिन्हें कमांडर ने इशारे से कुछ भी न बोलने के लिए मना कर दिया था।

कमांडर अपने जवानों के साथ चाय का पैसा चुकाकर आगे बढ़ गए और बूढा इतने ग्राहकों के लिए भगवान को शुक्रिया अदा कर रहा था। 

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