प्यासा शेर
शेर को बहुत प्यास लगी थी वह पानी की तलाश में इधर उधर भाग रहा था उसके दो बच्चे भी उसके पीछे पीछे भागे फिर रहे थे उन्हें पैदा हुए अभी एक ही महीना हुआ था। जिस नदी में शेर पानी पीता था उसका पानी पूरी तरह से सूख चुका था। शेर नदी के अंदर से चलता हुआ काफी आगे निकल गया। नदी में छोटे छोटे लेकिन गहरे गड्ढे थे जो हाथी के पैर कीचड़ में धसने से बने थे उनमें पानी था।
शेर ने गड्ढे में जब पानी पीना चाहा तो उसका मुंह पानी तक नहीं पहुँचा। पानी बहुत नीचे था। शेर के बच्चे भी एक दूसरे गड्ढे में पानी पीने की कोशिश कर रहे थे। शेर ने गढ्ढे में एक बड़ा सा पत्थर डाला। बच्चे भी अपने गड्ढे में छोटे छोटे पत्थर डालने लगे। शेर ने जैसे ही पत्थर गड्ढे में डाला, सारा पानी बाहर बिखर गया। शेर के बच्चे अपने गड्ढे में छोटे पत्थर डालते रहे लेकिन पानी बहुत नीचे था। शेर ने एक दूसरे गड्ढे में एक चकोर पत्थर डाला और गड्ढे का मुँह ही बंद हो गया। उसने बच्चो के गड्ढे में झांक कर देखा । पानी बहुत नीचे था। बच्चे गड्ढे में पत्थर डालते रहे। कुछ देर बाद शेर ने देखा बच्चे पानी पी रहे है शेर दौड़ कर उनके पास गया, उसने देखा पानी इतना ऊपर आ गया था कि उसमें बच्चे पानी पी सकते थे। शेर ने भी पानी पिया और अपने बच्चो की ओर देखने लगा क्योकि जिन गड्ढो से शेर पानी नहीं निकाल सका उसके नवजात बच्चों ने निकाल दिया।
जरुरी नहीं जो बात हमारे बुजुर्ग या सम्मानित दोस्त या रिस्तेदार बता रहे है वही सही है वो बात भी सही हो सकती है जो आप चाहते हो भले ही आप उनसे कितने भी छोटे क्यों ना हो। एक बात का ध्यान रखना है हमारे बुजुर्गो ने जो करना था उन्होंने कर दिया अब बारी हमारी है। सबकी नजर हम पर है। जो काम हमारे बड़े नहीं कर पाए या सोच भी नहीं सकते और शायद वो काम हम कर सकते है।
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