Thursday 9 April 2020

रूपये का सर्कुलेसन

रूपये का सर्कुलेसन

रूपये का सर्कुलेसन बड़ी से बड़ी मंदी से भी हमें बाहर निकाल सकता है इसका एक उदाहरण देकर मै आपके लिए ये कहानी लिख रहा हूँ।

एक बार एक शहर में बहुत बड़ी मंदी फैली हुई थी। एक लॉज का मालिक अपने लॉज के काउंटर पर मुँह रखकर अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ था। लॉज के लगभग सभी कमरे खाली पड़े थे। तभी एक कस्टमर लॉज में घुसा। उसने काउंटर पर आकर रूम लेने की बात कही। मालिक खुश हो गया। कस्टमर ने दो हजार रूपये और अपना आधार कार्ड काउंटर पर जमा कराया और एक वेटर के साथ रूम देखने के लिए चला गया।



लॉज के मालिक ने दो हजार रूपये लिए और लॉन्ड्री वाले को दे आया। लॉन्ड्री वाले को जैसे ही दो हजार रूपये मिले उसने तुरंत किरयाना वाले को पहुंचा दिए। किरयाना वाले ने दुकान का किराया पहुंचा दिया। उसने दूध वाले को पहुंचा दिया, दूध वाले ने चारे वाले को, चारे वाले ने किसान को, किसान ने बीज वाले को पेमेंट पहुंचा दिया। बीज वाला उस लॉज में कभी रुका था उसने वापस वे दो हजार रूपये उस लॉज के मालिक के पास पहुंचा दिए। लॉज के मालिक ने दो हजार रूपये अपने गल्ले में दाल दिए। 

उधर लॉज में कस्टमर पुरे लॉज में घूम कर वापस आया। वापस आकर उसने बताया कि उसे कोई रूम पसंद नहीं आया। उसे अपने पैसे वापस चाहिए। लॉज के मालिक ने उसे उसके पैसे वापस दे दिए। कस्टमर चला गया। रूम बुक न होने के कारण भी दो हजार रूपये ने लॉज के मालिक के साथ साथ शहर के बहुत से लोगो के चेहरे पर चमक ला दी थी। पैसे अभी भी उसी के पास थे जिसके थे। ये पैसे के सर्कुलेसन का कमाल था। यही मंदी से बाहर आने का सबसे बेहतर उपाय है। पैसे को जमा करके नहीं रखना है, सर्कुलेट करना है, खर्च करना है।

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