काला दूल्हा
मै बहुत खुश थी, मेरी बहन आस्था की शादी थी वह मुझसे दो साल बड़ी थी, हमारे परिवार के सभी सदस्य गोरे रंग के है। जहाँ दीदी की शादी तय हुई है लड़का सरकारी नौकरी करता है उसका नाम राहुल है लड़के को सिर्फ पापा ने देखा था बाकि किसी ने नहीं देखा था। एक आवाज सुनकर मैं अपने विचारों से बाहर आयी, किसी ने आकर कहा, बारात आ गयी। मै दौड़कर बालकनी में गयी, मुझे दूल्हे को देखने की बहुत इच्छा हो रही थी लेकिन दूल्हे ने सेहरा पहन रखा था।
वरमाला का समय आ गया, मै दीदी को लेकर स्टेज पर पहुंची। मैंने दूलहे को देखा, काला रंग था लेकिन देखने में बहुत स्मार्ट लग रहा था। हैंडसम था। मै देखते ही खुश हो गयी, मेरे जीजू इतने स्मार्ट थे।
दीदी ने वरमाला डालने के लिए जैसे ही जीजू को देखा उसने वरमाला फेक दी और अपने कमरे में भाग गयी। सब दीदी के पीछे भागे। दीदी को अचानक पता नहीं क्या हो गया था। वह चिल्ला रही थी मैं एक काले लड़के से शादी नहीं करुँगी। दीदी को मनाने की बहुत कोशिश की गयी। लेकिन दीदी नहीं मानी। उधर लड़के वालों ने भी हंगामा करना शुरू कर दिया था। अब बारात को ऐसे तो नहीं भेज सकते थे, सब मुझे देखने लगे, दीदी भी मुझे कहने लगी, अब तू करले शादी, तुझे तो वो बहुत स्मार्ट लग रहा था। पापा भी रिक्वेस्ट करने लगे। पापा का दयनीय चेहरा देखकर मैं ना नहीं कर पाई और दीदी से पहले मेरी शादी हो गयी।
सभी रश्में ख़त्म हो चुकी थी, इस बीच मैंने पाया कि मेरी ससुराल वाले बहुत ही अच्छे लोग थे। सभी का रंग काला था। मुझे देखकर मेरी सास कहती थी, "बहु को देखकर ऐसा लगता है जैसे घर में चांदना हो गया हो। मेरे पति भी मुझे बहुत प्यार करते है।
उधर दीदी की शादी तय हो जाती है। मै जीजू को देखकर ठगी सी रह जाती हूं। गोरा चिट्टा रंग तगड़ा शरीर, बहुत ही स्मार्ट और हैंडसम। मुझे दीदी पर गुस्सा आ रहा था और जलन भी हो रही थी। दीदी शादी करके चली जाती है।
दीदी की शादी को 10-12 दिन ही हुए होंगे। अचानक मुझे लेने के लिए पापा ने मेरे बड़े भैया को भेज दिया। मेरे समझ में कुछ नहीं आ रहा था मै अपने पति से अलग एक दिन भी नहीं रह सकती थी। लेकिन भैया को भी मना नहीं कर सकती थी। मै जैसे ही घर पहुंची, दीदी मुझे गले लगा कर रोने लगी। बात करने पर मुझे पता चला कि दीदी के पति काम पर ज्यादा ध्यान देते है। सुहागरात के बाद से वे अभी तक दीदी से नहीं मिले। सास बहू वाले झगडे न हो इसके लिए दीदी के ससुराल वालों ने दीदी को अलग घर बना कर दे रखा था। दीदी बिलकुल भी खुश नहीं थी। वो पहले दिन से ही अलग अकेली रहती थी। दीदी मुझसे मेरे बारे में पूछने लगी। अब मैं क्या बताती मेरे साथ तो उल्टा था, मैंने बस इतना कहा, सब ठीक है।
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