Thursday 2 April 2020

पिंजरे के बन्दर

एक बार की बात है एक पिंजरे में बारह बंदरो को बंद कर दिया गया । सभी बंदर बहुत समझदार और स्वस्थ थे। पिंजरे के बीच में एक सीढ़ी खड़ी करके उस पर केलो का एक गुच्छा लटका दिया। गुच्छा इस प्रकार लटकाया गया था कि सीढ़ी पर चढ़कर केले आसानी से लिए जा सकते थे।

एक बंदर ने सीढ़ी पर चढ़कर जैसे ही केले तोड़ने की कोशिश की वैसे ही उस बंदर के ऊपर ठंडा पानी डाल दिया गया और बाकि सब बंदरो के ऊपर भी ठंडा पानी डाल दिया गया। केले तोड़ रहा बंदर नीचे गिर गया। जब दूसरा बन्दर केला तोड़ने के लिए सीढ़ी पर चढ़ा तो उस पर भी ठंडा पानी डाल दिया गया, पिंजरे के बाकी बंदरो के ऊपर भी ठंडा पानी डाल दिया गया। तीसरे और चौथे बंदर के साथ भी ऐसा ही हुआ। अब सभी बंदर समझ गए थे कि अगर केलो को तोड़ने की कोशिश की गयी तो सब के ऊपर ठंडा पानी गिरेगा। जब पांचवे बन्दर ने सीढ़ी पर चढ़ने की कोशिश की तो सब बंदरो ने मिलकर उसे पीट दिया। फिर पिंजरे में एक नया बन्दर आया और एक पुराने बन्दर को पिंजरे से निकाल लिया गया। आने वाला बन्दर जैसे ही केलो को तोड़ने के लिए ऊपर चढ़ने लगा तो सब बंदरो ने उसे पीट दिया। वो बन्दर समझ गया कि अगर केलो को तोड़ने की कोशिश की गयी तो पिटाई होती है। फिर एक बन्दर को ओर नए बंदर से बदल दिया गया। आने वाला बन्दर जैसे ही केलो को तोड़ने के लिए ऊपर चढ़ने लगा तो सब बंदरो ने उसे पीट दिया। धीरे धीरे सभी पुराने बंदरो को नए बंदरो से बदल दिया गया। लेकिन जैसे ही आने वाला बंदर केलो को तोड़ने की कोशिश करता दूसरे बंदर उसे पीट देते। सभी बंदरो को ये पता था कि अगर कोई केलो को तोड़ने की कोशिश करता है तो उसकी पिटाई होती है। ये किसी को नहीं पता था कि पिटाई क्यों होती है कारण किसी को नही पता था।

आज हमारे समाज में में भी ऐसा ही होता है। जैसे ही हम कोई काम करने के लिए जाते है वैसे ही हमारे मातापिता दादादादी या और लोग हमें उस काम को करने से रोक देते है क्योंकि उनके हिसाब से वो काम हम नहीं कर सकते। और हम बिना कारण जाने उस काम को नहीं करते है क्योंकि हमारे बड़ो ने हमें उस काम को करने के लिए मना किया हुआ है।

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