Wednesday 1 April 2020

सूखा कुँआ

सूखे कुँए का पता चलते ही राहुल गांव की ओर चल पड़ा। साथ में उसका असिस्टेंट धीरज भी था। दोनों अपनी गाड़ी से गांव की ओर चल दिए। 

रास्ते में राहुल सोच रहा था कि कैसे एक छोटे से शहर का लड़का, जो कॉकरोच से भी डरता था। एक फॉरेस्ट ऑफिसर बन गया। वह बनना तो वो बैंक अधिकारी चाहता था उसने बैंक और फॉरेस्ट दोनों के ही फॉर्म भरे थे। लेकिन बैंक के पहले टेस्ट में ही फेल हो जाने के कारण उसने फॉरेस्ट की नौकरी पर अपना पूरा ध्यान लगा दिया। उसे काम की बहुत शख्त जरूरत थी। इसलिए उसने फॉरेस्ट की नौकरी को अपनी मेहनत के दम पर पा लिया। 



उसे सोच कर हंसी आ गई कि कैसे वो जंगल में छोटी छोटी मकड़ी और कीड़ो मकोड़ो से ही डर जाता था लेकिन अब पिछले हफ्ते ही उसने एक शेर को गड्ढे से निकाला था। सोचते सोचते ही गांव आ गया।

वहां पहुँच कर पता चला कि गांव के बीच में एक सूखा कुआँ हैं उसमें से अजीब सी आवाज आ रही है। राहुल ने उसमे उतरने का फैसला लिया। गांव के कुछ लोगो ने रस्सी को पास के एक पेड़ से बांध दिया और राहुल रस्सी के सहारे नीचे उतरने लगा। कुँए की दिवार पर रेत और काई लगी हुई थी, राहुल को उतरने में बहुत दिक्कत हो रही थी ये उसकी जिंदगी का सबसे जटिल बचाव अभियान था। इस अभियान में उसे ये भी नहीं पता था कि वो बचाने किसे जा रहा है वह अपने साथ एक सांप पकड़ने की छड़ी ले कर आया था उसने अंदाज लगाया था कि अंदर एक सांप होना चाहिए। नीचे उतरते ही उसे पता चला की कुँए में सतह से लगभग 10 फुट ऊपर कुँए की दरार में एक कोबरा था और सतह पर एक कबूतर और उसके दो अंडे थे। उसने सांप को अपनी छड़ी से जमीं पर गिरा दिया और नीचे जा कर फिर उसको पकड़ लिया। लेकिन उसके ये बात समझ नहीं आयी कि सांप ने कबूतर को क्यों नहीं खाया और नीचे दो अंडे भी थे जो सही सलामत थे।

 जाको राखे साईंया मार सके ना कोई।

सांप को राहुल ने लाकर जंगल में छोड़ दिया।

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